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From timeless classics to modern day masterpieces, these Hindi fiction textbooks are definitely the best you will get your palms on.

पिंटू दौड़कर अपनी मां को बुला लाता है।

Image: Courtesy Amazon It is a critically acclaimed satirical Hindi novel prepared by Shrilal Shukla and released in 1968. This Hindi fiction ebook provides a scathing critique of your socio-political landscape of rural India. Set from the fictional town of Shivpalganj, the narrative unfolds through the eyes in the protagonist, Ranganath, a youthful person who returns to his ancestral village to Get better from an sickness.

गाड़ी आने के समय से बहुत पहले ही महेंद्र स्टेशन पर जा पहुँचा था। गाड़ी के पहुँचने का ठीक समय मालूम न हो, यह बात नहीं कही जा सकती। जिस छोटे शहर में वह आया हुआ था, वहाँ से जल्दी भागने के लिए वह ऐसा उत्सुक हो उठा था कि जान-बूझ कर भी अज्ञात मन से शायद किसी इलाचंद्र जोशी

भुवाली की इस छोटी-सी कॉटेज में लेटा,लेटा मैं सामने के पहाड़ देखता हूँ। पानी-भरे, सूखे-सूखे बादलों के घेरे देखता हूँ। बिना आँखों के झटक-झटक जाती धुंध के निष्फल प्रयास देखता हूँ और फिर लेटे-लेटे अपने तन का पतझार देखता हूँ। सामने पहाड़ के रूखे हरियाले में कृष्णा सोबती

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काफी देर भटकने के बाद उसे जोर से भूख और प्यास लगी।

हिरनी गीदड़ के पीछे दौड़ने लगी। गीदड़ अपने प्राण लेकर वहां से रफूचक्कर हो गया।

Culture From ‘potential faking’ to ‘enjoy bombing’: Tips on how to recognise purple flags in relationships

मोरल – अभ्यास किसी भी कार्य की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।

दोनों भाई खेलने लगे, इसको देकर उसकी मां बहुत खुश हुई।

किसी श्रीमान ज़मींदार के महल के पास एक ग़रीब अनाथ विधवा hindi story की झोंपड़ी थी। ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा हुई, विधवा से बहुतेरा कहा कि अपनी झोंपड़ी हटा ले, पर वह तो कई ज़माने से वहीं बसी थी; उसका प्रिय पति और इकलौता पुत्र माधवराव सप्रे

यह बच्चों के लिए एक कश्मीरी लोक कथा है।

सिद्धेश्वरी ने खाना बनाने के बाद चूल्हे को बुझा दिया और दोनों घुटनों के बीच सिर रखकर शायद पैर की उँगलियाँ या ज़मीन पर चलते चीटें-चींटियों को देखने लगी। अचानक उसे मालूम हुआ कि बहुत देर से उसे प्यास लगी हैं। वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा-भर पानी अमरकांत

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